10 November 2021

مزاج بھانپ کے زہریلی اِن ہواؤں کاमिज़ाज भाँप के ज़हरीली इन हवाओं का... Shair :- Saif Babar (Mohd Saif Babar)

مزاج بھانپ کے زہریلی اِن ہواؤں کا
گھٹن سے پہلے ہی دم گھٹ گیا فضاؤں کا

دھواں دھواں جو یہاں آسمان کرتے ہیں 
مزہ بھی لوٹ رہے ہیں وہی گھٹاؤں کا

کسی لباس پہ کیا تبصرہ کیا جائے
بھروسہ کیجئے کیا اب کے نا خداؤں کا

جو جا چکا ہے اُسے اُس پہ چھوڑ دیتے تھے
لحاظ روحوں کا اب ہے نہ آتماؤں کا

کوئی سماج کا بیڑا نہیں اُٹھاتا اب
کسی کو علم نہیں اپنی اِن خطاؤں کا

صدائیں دو تو صدائیں بھی کام کرتی تھیں
کہ اب اثر نہیں آہوں کا التجاؤں کا

بہکنے کے سبھی الزام"سیف" ہم پر ہیں 
کسی نے دیکھا نہیں کام اُن اداؤں کا
شاعر
سیف بابر
(محمد سیف بابر)
 9936008545   (91+) 

मिज़ाज भाँप के ज़हरीली इन हवाओं का 
घुटन से पहले ही दम घुट गया फ़ज़ाओं का 

धुआँ धुआँ जो यहाँ आसमान करते हैं 
मज़ा भी लूट रहे हैं वही घटाओं का  

किसी लिबास पे क्या तब्सिरा किया जाए 
भरोसा कीजिए क्या अब के ना-ख़ुदाओं का 

जो जा चूका है उसे उसपे छोड़ देते थे 
लिहाज़ रूहों का अब है न आत्माओं का 

कोई समाज का बीड़ा नहीं उठता अब 
किसी को इल्म नहीं अपनी इन ख़ताओं का 

सदाएं दो तो सदाएं भी काम करती थीं 
कि अब असर नहीं आहों का इल्तिजाओं का 

बहकने के सभी इल्ज़ाम "सैफ़" हम पर हैं 
किसी ने देखा नहीं काम उन अदाओं का  
शाइर 
सैफ़ बाबर 
(मोहम्मद सैफ़ बाबर)
9936008545  (91+) 


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