08 June 2022

फ़नकार हो सच्चा तो वो विचलित नहीं होता गर्दिश में व्यथित, वो तो कदाचित नहीं होता शायर:- सैफ़ बाबर (मोहम्मद सैफ़ बाबर)

फ़नकार हो सच्चा तो वो विचलित नहीं होता
गर्दिश में व्यथित, वो तो कदाचित नहीं होता 

धीरज का कभी साथ न छोड़ें जो वो बलवान 
संघर्ष में जीवन के पराजित नहीं होता 

तूफ़ान से टकरा के भी बढ़ता है जो आगे 
निश्चय की डगर पर कभी चिंतित नहीं होता 

पक्का हो इरादा तो इरादे में है मंज़िल 
मंज़िल से भटकता है जो निश्चित नहीं होता 

अर्पण में समर्पण में विसर्जन में है अर्जन 
यश मिलता नहीं उसको जो अर्पित नहीं होता

है सब्र बड़े काम का, जीवन में ये जाना
होती है विजय उसकी जो क्रोधित नहीं होता

मन उसका प्रफ़ुल्लित ही सदा क्यों न रहे "सैफ़" 
औरों की सफ़लता से जो पीड़ित नहीं होता 
शाइर 
सैफ़ बाबर 
(मोहम्मद सैफ़ बाबर)
 +91 9936008545

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